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“वक़्फ़ हैं या फिर गज़वा ऐ हिन्द का दूसरा नाम” बोले अमितोष पारीक

अमितोष पारीक वर्तमान मे राजस्थान उच्च न्यायलय में अधिवक्ता हैं और निरंतर रूप से हिन्दुओ का पक्ष न्यायलय के समक्ष रखते है। अमितोष पारीक का यह मन ना हैं की हर सनातन धर्म को मानने वाला उनका अपना हैं और किसी भी हिन्दू पर कोई भी आंच आएं तो कानूनी रूप से उनके लिए लड़ कर उन्हें संभल दिलाते हैं

वर्तमान में संपूर्ण राष्ट्र वक़्फ़ अधिनियम से ग्रसित हो रखा हैं अपितु यह एक जिम्मेदारी हैं युवा की वह इस सम्प्रदयक अधिनियम को ज्यादा से ज्यादा लोगो तक इसको पहुचाये I अधिवक्ता होने के नाते मेरा यह दायित्व बनता हैं की ऐसे अधिनियम को संशोदित करने की पहल करू I आज वक़्फ़ के पास ससे ज़्यादा जमीने हैं उसके बाद रेलवे और फिर सेना के पास और जानकारी के तौर पर यह जानना आवश्यक हैं की वक़्फ़ ने आधी से ज्यादा जमीने अवैध ढँक से कब्जिये हुई हैं यह लाभ यह अपने धारा 4 से लेते हैं जिसमे सर्वेक्षण अधिकारी सर्वे करता है और मात्र उसको यह लगता हैं की यह जमीन वक़्फ़ की हैं तोह वह उसे औकाफ की सूचि में शामिल कर देता है हैरानी की बात यह है की पुरे अधिनियम में सर्वेक्षण अधिकारी स्वामित्व को किसी प्रकार की सुचना भी नहीं देगा I यह कहा तक न्यायोचित एवं संवैधानिक है की आप किसी की भी जमीन को अपनी बता कर उस पर कब्ज़ा करलो और चुनौती भी वक़्फ़ ट्रिब्यूनल मे ही करो जहाँ फैसला करने वाला अधिकारी मुस्लिम ही होगा I

वर्तमान में हल ही में कुछ दिनों पहले एक वक़्फ़ की आश्चर्यजनक गतिविधि सामने आयी जहाँ तमिल नाडु में पुरे गांव को ही वक़्फ़ ने अपनी प्रॉपर्टी बता दिया ऐसे कई अनेको मामले हैं जहाँ वक़्फ़ ने अवैध रूप से किसी और की जमीन को अपनी जमीन बता दिया। हास्यजनक बात तो यह है की 1937 मे दिन मोहम्मद ने श्रृंगार गौरी को भी वक़्फ़ घोषित करने का प्रयास करा था अपितु विफल रहे।

आज हिन्दू वक़्फ़ के अधिनियम से ना मात्र परेशान है अपितु भयभीत भी हैं की ना जाने कब उससे उसका स्वामित्व का Adhikari वक़्फ़ छिन लेगा I ऐसा कोई बह कानून हिन्दुओ के पास नहीं हैं जो उन्हें अपनी जमीन को वक़्फ़ से बचाने के लिए बना हुआ हो। समझने की आवश्यकता है और सोचने का समय हैं की वक़्फ़ मुसलमानो के लिए कानूनी रूप से उनकी जमीनों को संरक्षण देने के लिए नहीं अपितु अवैध रूप से जमीनों को हड़पने के लिए बनाया गया हैं। वर्तमान परिपेक्ष में वक़्फ़ जैसा साम्प्रदायक कानून अब लम्बे समय तक भारत में नहीं चल पायेग।

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