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एक दशक पुरानी जनसंख्या गणना को आधार मानकर परिसीमन करना अवैज्ञानिक है- निगम चुनाव टालने की पहली गलती को छिपाने के लिए किया जा रहा दूसरा गलत फैसला- चौ0 अनिल कुमार

नई दिल्ली, 9 जुलाई, 2022- : दिल्ली प्रदेश काँग्रेस कमेटी के अध्यक्ष चौ0 अनिल कुमार ने दिल्ली नगर निगम के परिसीमन से जुड़े तीन सदस्यों की समिति तथा उनके द्वारा 4 महीने में रिपोर्ट व अनुसंशा देने की गृह मंत्रालय की घोषणा पर बयान जारी कर सवाल पूछा कि दिल्ली की वास्तविक जनसंख्या का बिना आंकलन, किस प्रकार से परिसीमन किया जा सकता है। उन्होने कहा कि अवैज्ञानिक तरीके से किसी भी प्रकार की परिसीमन का कॉंग्रेस पार्टी विरोध करेगी। अतः परिसीमन की प्रक्रिया को वैज्ञानिक, निष्पक्ष, जमीनी स्थिति को देखकर तथा जनहित में हो। इसके लिए परिसीमन समिति को किसी भी प्रक्रिया को शुरू करने से पहले सभी दलों को केंद्र सरकार से उन्हें क्या टर्म ऑफ रेफरेंस दिये गए है, इसकी जानकारी देने चाहिए तथा सभी को विश्वास में लेना चाहिए।

चौ0 अनिल कुमार ने कहा कि हलांकि काँग्रेस पार्टी नगर निगम के एकीकरण तथा डेलीमिटेशन प्रक्रिया से असहमत है लेकिन कॉंग्रेस पार्टी जल्द चुनाव के पक्ष में है, ताकि जनता के काम चुने हुए प्रतिनिधि के माध्यम से हो। जबकि भाजपा दिल्ली नगर निगम को अपने प्रशासनिक नुमाईंदो के माध्यम से चला रही है जिसके चलते सभी तानाशाह फैंसले दिल्लीवासियों के हितों से दूर भाजपा की मंशा पर किए जा रहे है।

चौ0 अनिल कुमार ने कहा कि नगर निगम एकीकरण बिल के अनुसार दिल्ली में पहले के 272 वार्ड की संख्या को घटाकर अधिकतम 250 वार्ड बनाए जाएँगे और यह पूरी प्रक्रिया 2011 जनसंख्या के आधार पर होगी। जबकि उस वक्त दिल्ली की जनसंख्या 1.67 करोड़ है परंतु एक अनुमान मुताबिक आज राजधानी की जनसंख्या लगभग 3 करोड़ पहुॅच चुकी है, इसलिए परिसीमन की पूरी प्रक्रिया ही अवैज्ञानिक होगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी यह सवाल पूछती रही है कि पिछले 10 वर्षों में कई इलाके है जहां नई बस्तियाँ बसने पर जनसंख्या बढ़ी फिर 2011 की जनसंख्या के आधार पर 250 वार्ड बनाने का निर्णय कैसे लिया गया, इसका संतोषजनक जवाब हमें आज तक नहीं मिला।

चौ0 अनिल कुमार ने कहा कि भाजपा तथा केजरीवाल सरकार पहले एक गलती करती है, फिर उस पर पर्दा डालने के लिए दूसरा गलती, जिसका खामियाजा दिल्ली की जनता को भुगतना पर रही है। उन्होने कहा कि पहले बहुमत के बल पर तीनों नगर निगम का गैर जरूरी एकीकरण किया गया, अब अवैज्ञानिक परिसीमन किया जा रहा है। उन्होने सवाल पूछा कि क्या तीन नगर निगम को एक करने से फ़ंड की समस्या खत्म हो पाई? उन्होने कहा कि एमसीडी के कर्मचारी आज भी हड़ताल पर है, जनता गंदगी, जलभराव से परेशान है लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं है।

चौ0 अनिल कुमार ने कहा कि निगमों के एकीकरण के फैसले का असली मकसद संभावित हार को टालना था क्योंकि दिल्ली की जनता भाजपा केजरीवाल के भ्रष्टाचार से परेशान है। उन्होने भाजपा तथा केजरीवाल पर मिलकर दिल्ली नगर निगम चुनाव को टालने का आरोप लगाया। उन्होने केजरीवाल से सवाल पूछा कि अगर आम आदमी पार्टी चुनाव चाहती थी तो दिल्ली सरकार ने चुनाव घोषणा के कुछ घंटों पहले चुनाव टालने के निर्णय का कोर्ट में दिल्ली सरकार ने विरोध क्यूँ नहीं किया?

चौ0 अनिल कुमार ने कहा कि दिल्ली की जनता का सवाल उठाने वाला सच्चा विपक्ष काँग्रेस पार्टी पिछले 2 वर्षों से दिल्ली नगर निगम चुनाव जीतने को लेकर संकल्पित होकर लागातार काम कर रही है, जनता के मुद्दे को उठा रही है। जिसके कारण सत्ता में बैठी पार्टियाँ चुनाव से भाग रही है।

चौ0 अनिल कुमार ने कहा कि गृहमंत्री अमित शाह ने संसद के दोनों सदनों में 6 महीने में निगम चुनाव कराने का भरोसा दिल्ली के नागरिकों तथा संसद सदस्यों को दिया था और अब लगभग 2 महीने बाद परिसीमन समिति की घोषणा हुई है जो 4 महीने में उन्हें रिपोर्ट तथा अनुसंशा देने की बात गृहमंत्रालय ने अपने आदेश में कही है। भाजपा की गति से ऐसा प्रतीत होता है कि पूरी प्रक्रिया तथा चुनाव निकट-भविष्य में संभव नहीं हो सकता है। गृहमंत्री ने संसद को गुमराह करने का काम किया।

चौ0 अनिल कुमार ने कहा कि कॉंग्रेस पार्टी ने राजीव गाँधी के नेतृत्व में महात्मा गाँधी के विचारों को मानते हुए सत्ता को विकेंद्रीकृत करके सत्ता पर जनता को बैठाने के लिए पंचायती राज तथा शहरी निकाय निर्वाचन प्रणाली की शुरुआत की थी, जबकि संघ तथा उसके विचार के लोग सत्ता को अपने हाथों में लेना चाहते है ताकि तानाशाही शासन चलाया जा सके। तीनों नगर निगमों का एकीकरण उसी दिशा में उठाया गया कदम है।

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