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( M.P ) पाटखेड़ा स्कूल की प्राचार्य ने बदली तस्वीर: गार्डन, पेंटिंग एवं सुंदर स्लोगन से सुसज्जित विद्यालय

जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर स्थित पाटखेड़ा गांव का हाई स्कूल जिले के स्कूलों के लिए उदाहरण बन चुका है। इस स्कूल के प्राचार्य जयपाल सिंह यादव की मेहनत से कुछ ही वर्षों में दिल्ली रोल मॉडल की तरह दिखाई देने लगा है। स्कूल में प्रवेश करने से पहले वहां की दीवारों पर लिखे स्लोगन, पेंटिंग एवं परिसर में लगा गार्डन स्कूल की सुंदरता में चार चांद लगाते हैं।

सकारात्मक विचारों के साथ यदि कोई प्रयास किया जाता है, तो उसमें सफलता भी मिलने लगती है। अमूमन शासकीय स्कूलों को लेकर आम लोगों में धारणा गलत ही रहती है, लेकिन पाटखेड़ा स्कूल ने ऐसी तमाम धारणाओं को समाप्त करते हुए एक नई मिशाल पेश की है। विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा के मुकाम तक पहुंचाने के लिए स्कूल के शिक्षक आए दिन नवाचार करते रहते हैं। शिक्षकों के प्रयासों से विद्यालय में एक गार्डन बनाया गया। देखते ही देखते गार्डन के पेड़-पौधे विकसित होने लगे हैं।

स्कूल और उसकी सुंदरता को देखकर कोई नहीं कह सकता कि यह भी एक गांव का शासकीय स्कूल होगा। स्कूल में प्रवेश करते ही स्वच्छता अपने आप में विद्यालय की व्यवस्थाओं को दर्शाती हुई नजर आएगी। विद्यार्थियों के लिए विद्यालय में जो संसाधन और सुविधाएं मौजूद हैं, वे निजी स्कूलों को भी पीछे छोड़ रही हैं। विद्यालय की शिक्षा व्यवस्था एवं हरे भरे बगीचे ने निजी स्कूलों को पछाड़ने का काम किया है। इस गांव के ज्यादातर बच्चे प्राइवेट स्कूलों में ना जाकर सरकारी स्कूल में ही दाखिला लेते हैं।

बदलते परिवेश को देखते हुए बच्चों का लगाव विद्यालय से बढ़ने लगा है। बच्चों की दैनिक उपस्थिति में बढ़ोतरी होने लगी। बेहतर ड्रेस के साथ विद्यालय आने में बच्चों को आनंदित कर रही है। स्कूल पेंटिंग गार्डन सहित सभी चीजें आकर्षित करती हैं उसी तरह स्कूल की शिक्षा का स्तर भी सबसे आगे है। यहां के छात्र-छात्राएं कम संसाधनों में भी बेहतर परिणाम ला रहे है‌।

प्राचार्य जयपाल यादव बताते हैं कि वर्ष 2009 में वह स्कूल में शिक्षक बनकर पहुंचे थे, 2 साल बाद स्कूल के प्राचार्य बन गये थे। जिसके बाद स्कूल नई बिल्डिंग में शिफ्ट हुआ, उसी समय शिक्षकों के साथ स्कूल को नया लुक देने की कबायद शुरू हुई। धीरे-धीरे जमीन को समतल कर वहां पर पेड़ पौधे लगाये, पेंटिंग कराई गई साथ ही स्लोगन लिखवाए गए। इसके अलावा बड़े स्कूलों की तरह क्लासरूम भी व्यवस्थित किए गए। साथ ही शिक्षा के क्षेत्र में भी सफलता का प्रतिशत बड़ा है। इन परिणामों की वजह से उन्हें कई बार कलेक्टर सम्मानित कर चुके हैं।

इस समय उनके स्कूल में 170 विद्यार्थी हैं। वह कक्षा 9 एवं दसवीं के स्टूडेंट को पढ़ाते हैं। साथ ही उन्होंने आज के बदलते समय को देखते हुए कहां की ज्यादातर स्टूडेंट्स मोबाइल फोन में समय व्यतीत करते हैं उनके पेरेंट्स को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि बच्चों के हाथ में मोबाइल फोन से अधिक किताबें रहे। इसके अलावा कुछ डाउट्स क्लियर करने के लिए मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर सकते हैं।

Report :- Neeraj Sharma

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